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जोधपुर का पाल बालाजी मंदिर

200 साल से अधिक पुराना है जोधपुर का पाल बालाजी मंदिर
दर्शन करने मात्र से पूरी होती है मनोकामनाएं
मूंछ वाले बालाजी के रूप में है पहचान

जोधपुर शहर के पाल रोड स्थित पाल बालाजी मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र है। यहां आने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है। जोधपुर शहर के रेलवे स्टेशन से करीब 8 किलोमीटर की दूरी पर पाल रोड स्थित प्रसिद्ध पाल बालाजी मंदिर पाल गांव से 2 किलोमीटर पहले आता है। स्थानीय निवासियों के अनुसार यह मंदिर करीब 2 सौ साल पुराना है। यहां छत्र के नीचे लगी प्रतिमा में बालाजी को मूंछों में दर्शाया गया है। पाल बालाजी के दर्शन मात्र से ही भक्तों के कई संकट टल जाते हैं। वैसे तो यहां हर मंगलवार और शनिवार को भक्तों का सैलाब उमड़ता हैं, लेकिन साल में यहां तीन बड़े आयोजन होते हैं। आश्विन नवरात्रा को पाटोत्सव, दीपावली के बाद छप्पन भोग का अन्नकूट उत्सव और चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को हनुमान जयंती का उत्सव यहां विशेष रूप से मनाया जाता है।

पाल बालाजी मंदिर की आस्था
जोधपुर में पाल बालाजी में ही मूछों वाले हनुमान जी का एक मंदिर है। इस मंदिर को पाल बालाजी कहा जाता है और यह मंदिर जोधपुर के पाल रोड पर स्थित है। लाखों लोग यहां हर वर्ष अपनी मनोकामनाएं लेकर पहुंचते हैं। मंगलवार और शनिवार को इस मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना होती है। मान्यता है कि इस मंदिर में आकर मन्नत मांगने से भगवान हनुमान भक्तों की मन्नतपूरी करते हैं और उसके बाद भक्तों की ओर से प्रसादी का भी आयोजन होता है।

हर मनोकमनाएं होती है पूरी
यह मंदिर 200 साल से अधिक पुराना है और यहां के पुजारी पांच पीढ़ी से भगवान हनुमान की पूजा कर रहे हैं। खास बात है कि इस पाल बालाजी मंदिर में मंगलवार ही नहीं बुधवार, गुरुवार हर समय भक्तों की भीड़ लगी रहती है। पाल बालाजी के महाराज का कहना है कि यहां पर भक्त लोग आते हैं और प्रसादी भी करते हैं। इस मंदिर की मान्यता है कि यहां श्रद्धा के साथ जो भी मन्नत भगवान बालाजी से मांगते है तो उनकी मनोमानाएं जरूर पूरी होती है। इसके जीते जागते कई उदाहरण भी है। जिसमें एक उदाहरण पंडित डा. अनीष व्यास स्वयं भी है जिनकी इस मंदिर के प्रति एक अलग आस्था है।

पाल बालाजी मंदिर की मान्यता
जोधपुर शहर से पाल बालाजी का मंदिर 8 किलोमीटर दूर है। मंदिर में बालाजी प्रतिमा की स्थापना करीब 200 वर्ष पहले हुई थी। पाल बालाजी मंदिर में बालाजी की मूर्ति 4:30 फ़ीट की है। पाल बालाजी मंदिर में दक्षिण मुखी बालाजी है जब मूर्ति की स्थापना की थी जब मूछवाले बालाजी की ही मूर्ति की स्थापना की थी और यह जोधपुर की परंपरा है।

मूंछो वाले बालाजी
जब भी कोई अपना नया कार्य शुरू करते है या फिर नई गाड़ी इत्यादि भी लेते है तो पहले बालाजी मंदिर में पहुंचते है और दर्शन करने के साथ तिलक इत्यादि के बाद ही आगे काम काम करते है। सालासर बालाजी मंदिर के बाद यह दूसरा मूंछो वाले बालाजी की प्रतिमा जोधपुर में है। चाहे घर में शादी समारोह हो या फिर कोई भी शुभ काम पहले दर्शन के लिए यहां बालाजी मंदिर में भीड़ उमड़ती है।

जय श्री पाल बालाजी
पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान
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